लता जी के गीत हमेशा गूंजते रहे हैं और रहेंगे इसमें कोई दो राय नहीं है. वो गाने जो कभी चंचल, कभी रोमांटिक, तो कभी गमज़दा. लता जी जिन्हें 'द नाइटिंगेल ऑफ बॉलीवुड' और दीदी के नाम से जाना जाता है, उनकी आवाज़ हमेशा हमारी ज़िन्दगी में मिठास घोलती रहेंगी. काफी वक़्त कोविड से जूझने के बाद, आज उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया. पूरे इंडस्ट्री में शोक की लहर दौड़ गई है.
'गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स' ने साल 1974 में लता जी को इतिहास में सबसे अधिक दर्ज की गई कलाकार के रूप में स्थान दिया. 'द नाइटिंगेल ऑफ बॉलीवुड' ने अपने आठ दशक लंबे करियर के दौरान कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय अवार्ड से सम्मानित किया गया है.
ऑनर्स
1969|पद्म भूषण
1989|दादा साहेब फाल्के पुरस्कार
1997|महाराष्ट्र भूषण
1999|पद्म विभूषण
2001|भारत रत्न
2007|लीजन ऑफ ऑनर
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नेशनल अवार्ड्स
2006|स्पेशल लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड
1990|बेस्ट फीमेल प्लेबैक सिंगर, लेकिन...
1974|बेस्ट फीमेल प्लेबैक सिंगर, 'कोरा कागज़'
1972| बेस्ट फीमेल प्लेबैक सिंगर, 'परिचय'
फ़िल्म फेयर अवार्ड्स
2005|स्पेशल अवार्ड्स
1995|स्पेशल अवार्ड्स
1994|लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड
1970|बेस्ट प्लेबैक सिंगर - फीमेल, 'जीने की राह'
1966|बेस्ट प्लेबैक सिंगर (मेल/फीमेल) 'खानदान'
1963|बेस्ट प्लेबैक सिंगर (मेल/फीमेल) 'बीस साल बाद'
1959|बेस्ट प्लेबैक सिंगर (मेल/फीमेल) 'मधुमती'