LGBTQ: बॉलीवुड में Homosexuality पर बनी फिल्में जिन पर मचा खूब बवाल, 'फायर' की शूटिंग के दौरान हुआ ये हाल

Updated : Jun 10, 2023 16:06
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Editorji News Desk

पिछले एक दशक में समलैंगिकता के मुद्दे पर कई फिल्में बनीं और पसंद भी की गईं. बॉलीवुड की कुछ फिल्मों में इसे बेबाकी से द‍िखाया गया, ज‍िनमें मनोज बाजपेयी, आयुष्मान खुराना, फवाद खान जैसे सितारों की फिल्में शामिल हैं. 'शुभ मंगल ज्यादा सावधान'... हो, 'अलीगढ़' या 'बधाई दो'.  इन फिल्मों को जहां विरोध का सामना करना पड़ा वहीं काफी लोगों ने इन फिल्मों को पसंद भी किया. समलैंगिक मुद्दे पर अब डायरेक्टर मुखर होकर फिल्में बनाते हैं.  समय के साथ इन फिल्मों को अब 'ए' ग्रेड कमर्शियल आर्टिस्ट भी संजीदगी से लोगों के सामने पेश करने लगे हैं. 

आज भले ही इन फिल्मों को दर्शक मिल जाते हैं और सिनेमाघरों में रिलीज भी कर दिया जाता है लेकिन जिन फिल्मों ने इन रिश्तों पर बात करने की शुरुआत की उनका खूब तिरस्कार किया गया. इन फिल्मों के कंटेंट को लेकर कट्टरपंथियों ने काफी विरोध भी किए. 

बात करें फिल्म फायर की तो दीपा मेहता के डायरेक्शन में बनी फिल्म 'फायर' की शूटिंग के दौरान बनारस सहित देश के कई हिस्सों में जो हंगामा हुआ था, वो किसी से छिपा नहीं है. फ़िल्म के प्रदर्शन के दौरान देश के कई जगह तोड़फोड़ की घटनाएं भी हुई थीं. इतना ही नहीं सेंसर बोर्ड ने इस फिल्म में इतने कट लगाए थे कि मेकर्स निराश हो गए थे. कई संगठनों से इस फिल्म का विरोध किया था, जिसके चलते इस पर बैन लगा दिया गया था. हालांकि, दो साल बाद फिल्म को साल1998 में बिना किसी कट के रिलीज हुई.

1996 में आई इस फिल्म की कहानी दो ऐसी औरतों पर आधारित है, जो रिश्ते में जेठानी और देवरानी हैं. दोनों समय के साथ समलैंगिक हो जाती हैं. शबाना आजमी और नंदिता दास ने ये किरदार निभाया था.

करण राजदान की फिल्म 'गर्लफ्रेड' को लेकर भी जमकर विवाद हुआ था क्योंकि कहानी दो महिला समलैंगिक किरदारों के प्यार की थी जो रोल ईशा कोप्पिकर और अमृता अरोड़ा ने निभाया था. साल 2004 में तब आई इस फिल्म को लेकर कई लोग हैरान रह गए थे.

तमाम विरोध और नाराजगी को लेकर करण ने कहा था कि 'भले ही विरोध में मेरे पुतले जले हों लेकिन मैंने अपनी बात पहुंचा दी थी. मेरी फिल्म में यातनाएं झेल रहा ईशा का वो किरदार इस बात को बताता है कि समाज और कानून उसे स्वीकार कर ले.'

साल 2015 में आई मनोज बाजपेयी की 'अलीगढ़' ने समलैंगिकता पर चल रही बहस को न सिर्फ एक नया मोड़ दिया बल्कि यह इस मामले में सिनेमा के सीरियस हो जाने की दिशा में एक बड़ा कदम था.

इस्मत चुगताई की चर्चित विवादित कहानी 'लिहाफ' को जिसने पढ़ा वो इसका मुरीद हो गया. इस कहानी पर  राहत काजमी के डायरेक्शन में शॉर्ट फिल्म कब आई और कब गई पता ही नहीं चला. हालांकि 1942 में जब यह कहानी अदाब-ए-लतीफ में पहली बार छपी तो इस्मत को कोर्ट केस भी लड़ना पड़ा. इस कोर्ट केस में इस्मत की जीत हुई थी. 'लिहाफ' को हिंदुस्तानी साहित्य में लेस्बियन प्यार की पहली कहानी माना जाता है. 

ये भी देखिए: Sudipto Sen ने सहारा ग्रुप के Subrata Roy की बायोपिक 'Saharasri' की घोषणा की, मोशन पोस्टर हुआ जारी

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