यूपी में बीजेपी उम्मीदवारों की पहली सूची (First List of BJP Candidated in Uttar Pradesh Elections) में योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) को गोरखपुर सदर से उम्मीदवार बनाया गया है. अब जब योगी की सीट को लेकर जारी अटकलों पर विराम लग चुका है, एक नया सवाल उठ खड़ा हुआ है, ये सवाल है कि आखिर योगी आदित्यनाथ गोरखपुर शहर सीट से ही चुनाव क्यों लड़ेंगे? जबकि उन्हें लेकर ऐसी अटकलें लगाई जा रही थीं कि मथुरा या अयोध्या में से किसी एक जगह से पार्टी सीएम को चुनाव में उतारेगी.
गोरखपुर शहर सीट
गोरखपुर शहर सीट को बीजेपी का अभेद्य किला कहा जाता है. बीजेपी 1989 से यहां से जीती है. पार्टी के गठन से पहले जनसंघ यहां जीतता रहा था. 2002 के विधानसभा चुनाव में राधा मोहनदास अग्रवाल यहां से जीते थे. लगातार चार बार से वही विधायक थे लेकिन पार्टी ने इस बार उन्हें टिकट नहीं दिया है.
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पार्टी को गोरखपुर की दूसरी सीटों जैसे गोरखपुर ग्रामीण, सहजनवां, कैंपियनगंज, पिपराइज विधानसभा में मुश्किल का सामना करना पड़ता है लेकिन यहां वह हमेशा बड़े अंतर से जीतती रही है.
अयोध्या से क्यों नहीं लड़े योगी
अयोध्या सीट पर 2012 में समाजवादी पार्टी जीत दर्ज करा चुकी है. 2017 में प्रचंड लहर में बीजेपी यह सीट जीत गई थी. अयोध्या योगी के लिए एक नई सीट भी होती और वहां के जातीय समीकरण भी पार्टी के एकदम पक्ष में नहीं हैं.
अयोध्या से लड़ने पर योगी को वहां समय भी अधिक देना पड़ता जबकि गोरखपुर से लड़ते हुए वह प्रदेश में अन्य जगहों पर भी प्रचार और रणनाीति की कमान संभाल सकते हैं.
गोरखपुर शहर सीट क्यों अहम
गोरखपुर शहर सीट से लड़कर योगी की कोशिश गोरखपुर-बस्ती मंडल की उन्हीं 41 सीटों पर ध्यान लगाने की भी होगी जिनमें से 37 पार्टी ने पिछली बार जीती थीं. गोरखपुर जिले की 9 में से 8 सीटें पार्टी ने पिछली बार जीती थीं.
पूर्वांचल में कई बड़े नेता और छोटे छोटे दलों के समाजवादी पार्टी के साथ जाने से भी यहां सीटें बढ़ाने की चुनौती ज्यादा थी. ऐसे में पार्टी ने किसी भी नए प्रयोग से बचते हुए योगी को सुरक्षित सीट से उतारने का फैसला लिया है.
गोरखपुर से चुनाव में उतरने का असर आसपास के कई दूसरे जिलों पर भी होगा.
मथुरा सीट क्यों छोड़ी
मथुरा सीट से बीजेपी के कैबिनेट मंत्री श्रीकांत शर्मा (Cabinet Minister Shrikant Sharma) विधायक हैं. मथुरा ब्राह्मण बाहुल्य सीट है और योगी की जाति कई बार चुनावों में मुद्दा बनती रहती है. ऐसे में वहां भी योगी को अतिरिक्त मेहनत करनी ही पड़ती. यहां से 2017 में श्रीकांत शर्मा जीते लेकिन उससे पहले लगातार चार बार कांग्रेस के प्रदीप माथुर यहां से जीतते रहे.
पहली बात तो बीजेपी श्रीकांत शर्मा जैसे नेता की सीट को डिस्टर्ब करने की उलझन से बचना चाहती थी और दूसरा अयोध्या और मथुरा पर योगी को अतिरिक्त मेहनत करनी ही पड़ती.
वैसे इन सबके बीच यूपी चुनाव में सपनों का जिक्र भी उठा था जब बीजेपी के राज्यसभा सांसद हरनाथ सिंह यादव ने जेपी नड्डा को पत्र लिखकर अपने सपने की बात बताई और दावा किया कि भगवान श्रीकृष्ण ने सपने में उनसे कहा कि योगी को मथुरा से चुनाव लड़ना चाहिए. वहीं, अखिलेश यादव ने इसपर तंज कसते हुए कहा था कि भगवान कृष्ण रोज उनके सपने में आते हैं और कहते हैं कि सपा की सरकार बनने जा रही है.
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