उत्तर प्रदेश की कैराना सीट (Kairana Assembly Seat) से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार नाहिद हसन की गिरफ्तारी के बाद इस सीट पर मुकाबला और दिलचस्प हो गया है. अब इस सीट को जिताने की जिम्मेदारी दो महिला सदस्यों पर आ गई है. एक हैं विधायक नाहिद की बहन इकरा हसन और बीजेपी के दिग्गज स्थानीय नेता हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह.
इकरा हसन को फिलहाल सपा ने अपना उम्मीदवार बना दिया है. हालांकि वे पहले से ही भाई के पक्ष में डोर टू डोर कैंपेनिंग कर रही हैं. लेकिन बदले हालात में मृगांका से अब उनका सीधा मुकाबला है.
इकरा हसन की बात करें 27 साल की इकरा ने यूरोप से लॉ में पोस्ट ग्रेजुएशन की है. इससे पहले उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से इतिहास से ग्रेजुएशन की है. वो 2019 में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग के सामने हुए विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के कारण चर्चा में आई थीं. एक साल पहले वो भारत वापस लौटी हैं. नाहिद हसन की गिरफ्तारी के बाद उन पर कैराना सीट से भाई को जिताने की जिम्मेदारी है.
वहीं उनके मुकाबले में खड़ी मृगांका सिंह की बात करें तो वो बीजेपी के दिग्गज नेता हुकुम सिंह की बेटी है. वो राजनीति में आने से पहले शिक्षा के क्षेत्र में एक्टिव थी. उन्होंने साल 2017 में कैराना सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा था. नाहिद हसन ने उन्हें चुनाव में हराया था. इस बार एक बार फिर से बीजेपी ने उन्हीं पर दांव खेला है.
बता दें कि कैराना विधानसभा सीट साल 2017 में विधानसभा चुनाव से पहले हिंदुओं के पलायन की वजह से काफी चर्चाओं में रही थी. एक नजर यहां के दिलचस्प चुनावी इतिहास पर भी डाल लेते हैं. मृगांका के पिता हुकुम सिंह यहां से पहली बार 1974 में विघायक बने थे. इसके बाद वे लगातार दो बार यहां से कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने. बाद के चुनावों में उन्हें हार मिली. 1995 में जब उन्होंने बीजेपी ज्वाइन किया तो फिर चार बार इसी सीट पर कब्जा जमाया.
इसके बाद साल 2014 में वे कैराना से लोकसभा पहुंचे. तब उनकी बेटी उपचुनाव में खड़ी हुई और उन्हें सपा के नाहिद हसन से मात मिली. यही कहानी साल 2017 में भी दोहराई गई.
दिलचस्प ये है कि कैराना की 60 फीसदी आबादी मुसलमानों की है लेकिन वे भी हुकुम सिंह को वोट देते रहे हैं और नाहिद को भी हिंदू वोट मिलते रहे हैं. ऐसे में इस बार ऊंट किस करवट बैठेगा ये जानना रोचक रहेगा.
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