देश में लोक सभा चुनाव जारी है. पहले चरण की वोटिंग हो चुकी है.राजनीतिक पार्टियां वोटरों को आकर्षित करने के लिए धुआंधार प्रचार में जुटी हैं.कई हाई प्रोफाइल सीटों पर मुक़ाबला दिलचस्प हो रहा है. पिछले 28 साल से समाजवादी पार्टी का गढ़ रही मैनपुरी सीट इस बार भी चर्चा का विषय बनी हुई है. हम अपनी पोल रिपोर्ट में आज बात कर रहे हैं मैनपुरी लोक सभा सीट की.
समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव मैनपुरी सीट से 5 बार चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे. 1996 में मुलायम सिंह यादव सपा की टिकट पर यहां से जीते. इसके बाद कोई और पार्टी यहां से चुनाव नहीं जीत पाई. 1998 और 1999 में एसपी के बलराम सिंह यादव इस सीट पर काबिज रहे. 2004 में एक बार मुलायम सिंह यादव जीते, लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया. इसके बाद 2004 के उपचुनाव में धर्मेंद्र यादव मैनपुरी सांसद चुने गए. 2009 और 2014 में मुलायम फिर इस सीट से जीते. 2014 में मुलायम सिंह यादव ने मैनपुरी और आजमगढ़ दोनों सीटों से चुनाव लड़ा था. इसके बाद उन्होंने मैनपुरी लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था. 2014 में हुए उपचुनाव में मुलायम सिंह यादव के कुनबे के तेज प्रताप यादव सपा की टिकट पर चुनाव जीते.वह मुलायम सिंह यादव के बड़े भाई रतन सिंह यादव के बेटे रणवीर सिंह यादव के बेटे हैं. 2019 में भी यहां से मुलायम सिंह यादव चुनाव जीते. मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद हुए उपचुनाव में उनकी बहू डिंपल यादव ने इस सीट पर जीत हासिल की.
उत्तर प्रदेश की मैनपुरी सीट जो कपड़ों की कड़ाई के मशहूर है में पिछले 28 साल से समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता है. यहां समाजवादी पार्टी (सपा) ने डिंपल यादव को टिकट दिया है. वह मुलायम सिंह यादव की बहू और सपा प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी हैं. डिंपल के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपने दिग्गज़ नेता जयवीर सिंह ठाकुर को उतारा है, जिसके बाद सियासी लड़ाई बेहद कठिन हो गई है.
उत्तर प्रदेश कैबिनेट में पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह फ़िलहाल मैनपुरी सदर सीट से विधायक हैं. जयवीर सिंह ने विधानसभा चुनावों में सपा के इस अभेद्य किले को ढहा दिया जिसके बाद उन्हें यूपी की योगी सरकार में मंत्री का पद दिया गया.बीजेपी इस सीट को लेकर भी काफी गंभीर है, इसीलिए बीजेपी ने जयवीर सिंह को उम्मीदवार बनाकर एक नया दांव खेला है.जयवीर सिंह फिरोजाबाद के करहरा गांव के रहने वाले हैं. उन्होंने राजनीति की शुरुआत यही से की थी.सबसे पहले वह करहरा के ग्राम प्रधान बने. इसके बाद वह कांग्रेस में शामिल हो गए, जहां वे कई पदों पर रहे हैं. इसके बाद वह मैनपुरी की घिरोर लोकसभा सीट से पहली बार 2002 में विधायक बने और उन्हें 2003 में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई. दूसरी बार साल 2007 में घिरोर सीट से ही जीतकर विधानसभा पहुंचे और राज्यमंत्री बनाए गए. जयवीर सिंह सपा और बसपा दोनों ही पार्टियों की सरकारों में मंत्री रहे हैं. जयवीर ठाकुर जाति से आते हैं.और मैनपुरी में ठाकुरों की संख्या ठीक-ठाक है. इस सीट पर ओबीसी वोटरों की संख्या भी अच्छी खासी है.
डिंपल यादव लगातार दो बार कन्नौज (Kannauj) से सांसद रह चुकी है और अभी वो मैनपुरी से सांसद हैं. 2022 में मैनपुरी लोकसभा सीट से जीत का रिकॉर्ड बनाने वाली डिंपल ने मैनपुरी की पहली महिला सांसद बनकर इतिहास रचा था. डिंपल के राजनीतिक करियर की शुरुआत साल 2009 में हुई थी, ये चुनाव उन्होंने कांग्रेस नेता और अभिनेता राज बब्बर के खिलाफ लड़ा था , जिसमे उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद साल 2012 में कन्नौज उपचुनावों में जीत हासिल करके डिंपल संसद पहुंची थी. साल 2014 में डिंपल ने कन्नौज से बीजेपी के सुब्रत पाठक को हराया था. इसके बाद साल 2019 के लोकसभा चुनावों में डिंपल यादव ने सपा-बसपा गठबंधन में चुनाव लड़ा लेकिन उनको कन्नौज सीट से हार का सामना करना पड़ा.
मैनपुरी लोकसभा सीट पर जातिगत समीकरण भी खासा दिलचस्प है. यहां यादव समुदाय की संख्या सबसे ज्यादा है, जिसका झुकाव सपा की तरह रहता है. यादव वोटर 4.25 लाख से अधिक हैं. इसके बाद दूसरे नंबर पर शाक्य मतदाता है, जिनकी संख्या करीब 3.25 लाख है. तीसरे नंबर पर ब्राह्मण आते हैं, जोकि 1.20 लाख से अधिक हैं. यहां निर्णायक भूमिका में लोधी वोटर रहते हैं, जिनकी तादाद एक लाख से अधिक है. वहीं, मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 50 से 60 हजार के बीच है.
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