BJP Mission South: मौजूदा दौर में देश में बीजेपी का परचम लहरा रहा है... गुजरात, महराष्ट्र, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और नार्थ-ईस्ट के राज्य में कमल खिल चुका है...इसके साथ ही उत्तर भारत के दूसरे राज्यों में जहां वो सत्ता में नहीं है वहां भी मजबूत स्थिति में है पर इसका विजय रथ हर बार दक्षिण भारत की दहलीज पर जाकर रूक जाता है...हालांकि कर्नाटक में वो सरकार बनाती रही है लेकिन दक्षिण भारत के बाकी पांच राज्यों में तंबू गाड़ने के उसके अरमान कभी परवान नहीं चढ़ पाए...कर्नाटक चुनाव के बहाने बीजेपी एक बार फिर इन राज्यों को साधने की कोशिश कर रही है लेकिन उसके सामने कई चुनौतियां है...मसलन खुद कर्नाटक में उसकी सत्ता बचेगी य़ा नहीं ? तेलंगाना में वो सत्ता परिवर्तन कर सकेगी या नहीं ? तमिलनाडु में एंट्री मिलेगी या नहीं? केरल में खाता खुलेगा या नहीं? आदि...आदि....आइए जानते हैं दक्षिण भारत में बीजेपी की क्या स्थिति है और उसके सामने कौन-कौन सी चुनौतियां हैं?
दक्षिण भारत में बीजेपी का प्रदर्शन
दक्षिण के 6 राज्यों में लोकसभा की कुल 130 सीटें
बीजेपी के पास 22 % यानी कुल 29 लोकसभा सीटें
इन 29 सीटों में से भी 25 सीटें अकेले कर्नाटक से
तेलंगाना की 17 सीटों में से 4 बीजेपी के खाते में
तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और केरल में कोई सीट नहीं
आंध्र प्रदेश और केरल में तो पार्टी का एक भी विधायक नहीं
तमिलनाडु में BJP को 20 साल बाद मिली 4 विधानसभा सीटें
पिछले दो लोकसभा चुनावों में उत्तर भारत में बीजेपी को बंपर सीटें मिली हैं ऐसे में बीजेपी की एक रणनीति ये भी है कि यदि साल 2024 के चुनावों में उत्तर भारत में सीटें कुछ कम होती हैं तो फिर उसकी भरपाई दक्षिण से की जा सके... लिहाजा बीजेपी के प्लान साउथ का कर्नाटक में टेस्ट होना है...क्योंकि यहां के नतीजों का असर पड़ोस के दूसरे राज्य पर भी पड़ेगा. अगर बीजेपी कर्नाटक हारती है तो साल के आखिर में होने वाले तेलंगाना चुनाव में उसका सत्ता में आना बेहद मुश्किल होगा. जहां उसने बड़ी उम्मीद लगाई हुई है. अब ये भी जान लेते हैं कि बीजेपी के सामने राज्यवार क्या चुनौती है?
दक्षिण के दुर्ग की चुनौतियां
तमिलनाडु में BJP की छवि हिंदूवादी पार्टी की है
जबकि राज्य में द्रविड़ आंदोलन की जमीन रही है
तमिलनाडु में BJP पर हिंदी पार्टी का भी टैग
DMK ने फिर से हिंदी मुद्दे को हवा भी दे दी है
BJP अब AIADMK के सहारे आगे बढ़ने की कोशिश में
केरल में पार्टी का कोई भी विधायक नहीं है
केरल में RSS की 4500 शाखाएं लगाने का दावा
अनिल एंटनी को पार्टी में लाकर मजबूती देने की कोशिश
कर्नाटक को छोड़ दूसरे राज्यों में पार्टी के पास बड़ा नेता नहीं
इन चुनौतियों के अलावा बीजेपी के सामने एम के स्टालिन, केसीआर की चुनौती भी है जो पूरे देश में तीसरे मोर्चे की कवायद में जुटे हैं...ऐसे में साफ है कि कर्नाटक के सकारात्मक चुनाव परिणाम दक्षिणी राज्यों में बीजेपी की उम्मीदों को बूस्टर डोज देने का काम करेंगे...वरना पार्टी को फिर से लंबा इंतजार करना पड़ेगा.