What is so special about BrahMos? : भारत की सुपरसोनिक मिसाइल ब्रह्मोस क्यों है सबसे अलग?

Updated : Dec 31, 2022 20:52
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Mukesh Kumar Tiwari

What is so special about BrahMos? : एयरफोर्स ने Su-30 MKI फाइटर जेट से ब्रह्मोस मिसाइल के एक्सटेंडेड रेंज वर्शन का सफल परीक्षण किया. यह परीक्षण बंगाल की खाड़ी में की गयी है. ब्रह्मोस न सिर्फ भारत को महाशक्ति बनाने वाली अहम मिसाइल है बल्कि ये एक ऐसा अस्त्र है जिसका तोड़ न तो चीन के पास है और न ही पाकिस्तान के पास...  

आइए जानते हैं ब्रह्मोस के बारे में सबकुछ (all about Brahmos)

ब्रह्मोस को कहां से मिला नाम? || Where did BrahMos get its name?

मिसाइल का नाम दो नदियों- ब्रह्मपुत्र और मोस्कवा के नाम पर रखा गया है. मोस्कवा पश्चिमी रूस में एक नदी है.

ब्रह्मोस मिसाइल की खासियत || Features of BrahMos missile

नौसेना को दी जाने वाली ब्रह्मोस मिसाइल का पहला टेस्‍ट 2013 में हुआ था

भारत-रूस का जॉइंट वेंचर ब्रह्मोस एयरोस्पेस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का प्रोडक्शन करता है. इसे पनडुब्बियों, जहाजों, एयरक्राफ्ट या जमीन से लॉन्च किया जा सकता है. 

हालांकि, मिसाइल के नए वर्शन की रेंज 350 से 400 किलोमीटर है. भारत ने 2022 में 10 से ज्यादा परीक्षण किए. ब्रह्मोस मिसाइल मैक 3.5 यानी 4,300 किलोमीटर प्रतिघंटा की अधिकतम रफ्तार से फायर कर सकती है. 

जमीन से हवा में मार करनी वाले सुपरसोनिक मिसाइल 400 किलोमीटर दूर तक टारगेट हिट कर सकती है.

यह मिसाइल पानी में 40 से 50 मीटर की गहराई से छोड़ी जा सकती है.

एयरफोर्स की बात करें तो ये मिसाइल अधिकतम 14,000 फीट की ऊंचाई तक आवाज से भी कहीं तेज गति से उड़ सकती है.

ब्रह्मोस किस तरह की मिसाइल है? || Which kind of missile is BRAHMOS?

ब्रह्मोस, भारत और रूस के बीच जॉइंट वेंचर में डेवलप हुई एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है. यह self-propelled गाइडेड मिसाइल है.  

ब्रह्मोस एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है जिसकी गिनती 21वीं सदी की सबसे खतरनाक मिसाइलों में की जाती है.

इसके वैरियंट्स के हिसाब से वारहेड का वजन बदल जाता है.

इसमें टू-स्‍टेज प्रपल्‍शन सिस्‍टम है और सुपरसोनिक क्रूज के लिए लिक्विड फ्यूल्‍ड रैमजेट लगा है.

भारतीय वायुसेना की स्‍क्‍वाड्रन नंबर 222 (टाइगरशार्क्‍स) देश की पहली स्‍क्‍वाड्रन है जिसे ब्रह्मोस मिसाइल से लैस किया गया है.

यह दक्षिण भारत में देश की पहली Su-30 MKI स्‍क्‍वाड्रन है जिसका बेस तंजावुर एयरफोर्स स्‍टेशन है.

मिसाइल की रेंज बढ़ाने के लिए रूस और भारत लगातार काम कर रहे हैं. 

ब्रह्मोस-II नाम से एक हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल 8 मैक की रफ्तार से उड़ सकेगी.

इसके अलावा ब्रह्मोस-एनजी (नेक्‍स्‍ट जेनरेशन) डेवेलप की जा रही है.

ब्रह्मोस कितनी तेजी से उड़ती है? || At what speed BrahMos hit target?

ब्रह्मोस टू स्टेज वाली मिसाइल है. सॉलिड फ्यूल्ड प्रोपेलेंट बूस्टर इंजन मिसाइल को सुपरसोनिक स्पीड से पुश करती है. फिर दूसरी स्टेज शुरू होती है. इसमें लिक्विड फ्यूल रैमजेट इंजन इसे मैक 3 (ध्वनि की गति से तीन गुना) तक की स्पीड पर ले जाता है. इस दौरान मिसाइल एक सेकेंड में 1 किलोमीटर की दूरी कवर कर लेती है.

ब्रह्मोस कितनी असरदार है? || How effective is BrahMos?

बताया जाता है कि ब्रह्मोस का स्ट्राइक एक्युरेसी रेट 99.99 फीसदी है. इतनी स्पीड पर किसी भी रडार के लिए बहुत मुश्किल है इसे पकड़ना. अगर रडार पर मिसाइल पकड़ में आ भी गई, तो उससे बचाव के लिए दुश्मन को ज़्यादा वक़्त नहीं मिल पाता.' वह इस मिसाइल के एक टेस्ट के बारे में बताते हैं, जहां ब्रह्मोस को बिना वॉरहेड यानी विस्फोटक के बगैर एक जहाज पर छोड़ा गया था. मिसाइल ने केवल अपनी स्पीड की बदौलत जहाज को दो हिस्सों में बांटकर रख दिया.

किसने डेवलप की है ब्रह्मोस मिसाइल? || Who has developed BrahMos missile?

मिसाइल का डेवलपमेंट और इसे मैन्युफैक्चर ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड ने किया है. यह भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और रूस के रेउतोव स्थित रॉकेट और मिसाइल डेवलपर्स NPO Mashinostroyeniya (NPOM) का संयुक्त उपक्रम है.

क्या मिसाइल को और विकसित किया जाएगा? || Will the missile be further developed?

अभी मिसाइल के नए वर्जन डेवलप किए जा रहे हैं. ब्रह्मोस मिसाइल को 800 किमी दूर के टारगेट भेदने की क्षमता के साथ तैयार किया जा रहा है. स्क्रैमजेट इंजन के साथ नए वैरिएंट भी डेवलप किए जा रहे हैं जो मिसाइल को 6 मैक यानी ध्वनि की स्पीड से छह गुना ज्यादा तक की हाइपरसोनिक स्पीड तक ले जाने में मदद करेंगे.  यानी 6 मैक की रफ्तार वाली मिसाइल, 1 मैक की रफ्तार वाली मिसाइल से 36 गुना ज्यादा नुकसान पहुंचाएगी. 

भारत में कहां बनती है ब्रह्मोस मिसाइल? || Where is BrahMos missile made in India?

ब्रह्मोस का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है जहां इसका डिजाइन सेंटर, सिमुलेशन और इंटरफेस डेवलपमेंट डिपार्टमेंट, एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट और एयरोस्पेस नॉलेज सेंटर (हैदराबाद में भी) स्थित है. तिरुवनंतपुरम में एक फैसिलिटी ब्रह्मोस के साथ-साथ इसरो और डीआरडीओ के लिए कॉम्पोनेंट बनाती है.

ब्रह्मोस एयरोस्पेस की वर्ल्ड क्लास प्रोडक्शन फैसिलिटी है जिसे ब्रह्मोस एयरोस्पेस का ब्रह्मोस इंटीग्रेशन कॉम्प्लेक्स (BIC) कहा जाता है. यह सेंटर वह जगह है जहां एक्चुअल मिसाइल आकार लेती है. भारत और रूस में बनने वाले सभी कॉम्पोनेंट और सब सिस्टम को BIC को भेजा जाता है और फिर फाइनल प्रोडक्ट में जोड़ा जाता है.

मिसाइल कितनी इंडियन मेड है? || How much Indian made is Brahmos?

मार्च 2016 में रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने संसद में एक लिखित उत्तर में कहा था कि मिसाइल के 65 प्रतिशत कॉम्पोनेंट इंपोर्ट किए गए थे. रूस जो कॉम्पोनेंट देता है, उनमें बूस्टर, रैमजेट इंजन, टारगेट सीकर, होमिंग डिवाइस और मिसाइल को चलाने वाले कैनिस्टर शामिल हैं.

ये भी देखें- Pakistan में कैसे जा गिरी थी Indian Missile, जांच में हुआ खुलासा

RussiaBrahMosIndiasu-30 MKI

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