क्या होते हैं Electoral Bond, क्यों इन्हें जारी किया गया था ? आसान शब्दों में समझें

Updated : Feb 15, 2024 14:34
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Editorji News Desk

Electoral Bonds: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केंद्र सरकार की चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया है. पांच जजों की संविधान पीठ ने ये अहम फैसला सुनाया. इस फैसले को सरकार के लिए एक झटका माना जा रहा है. 

चुनावी बॉन्ड पर हो रही चर्चा के बीच आइए जानते हैं कि आखिर इलेक्टोरल बॉन्ड क्या होते हैं, और कब इनकी शुरूआत हुई. 

  • सरकार ने साल 2018 में इलेक्टोरल बॉन्ड की शुरुआत की
  • चुनावी फंडिंग व्यवस्था में सुधार के लिए शुरूआत हुई
  • इलेक्टोरल बॉन्ड फाइनेंस एक्ट 2017 के द्वारा लाए गए थे
  • ये बॉन्ड साल में चार बार जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर में जारी किए जाते थे
  • ग्राहक बैंक की शाखा में जाकर या उसकी वेबसाइट पर ऑनलाइन जाकर इसे खरीद सकते थे
  • इसमें व्यक्ति, कॉरपोरेट और संस्थाएं बॉन्ड खरीदकर राजनीतिक दलों को चंदे के रूप में देती थीं
  • राजनीतिक दल इस बॉन्ड को बैंक में भुनाकर रकम हासिल करते थे
  • SBI की 29 ब्रांच को इलेक्टोरल बॉन्ड जारी करने और उसे भुनाने के लिए अथॉराइज्ड किया गया था
  • ये ब्रांच नई दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, गांधीनगर, चंडीगढ़, पटना, रांची, गुवाहाटी, भोपाल, जयपुर और बेंगलुरु की थीं
  • कोई भी डोनर अपनी पहचान छुपाते हुए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से एक करोड़ रुपए तक मूल्य के इलेक्टोरल बॉन्ड्स खरीद कर सकता था
  • फिर डोनर इन बॉन्ड्स को अपनी पसंद के राजनीतिक दल को चंदे के रूप में दे सकता था
  • ये व्यवस्था दानकर्ताओं की पहचान नहीं खोलती थी
  • इलेक्टोरल बॉन्ड से दानकर्ताओं को टैक्स से भी छूट प्राप्त थी
  • आम चुनाव में कम से कम 1 फीसदी वोट हासिल करने वाले राजनीतिक दल को ही इस बॉन्ड से चंदा हासिल हो सकता था

लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड पर रोक लगा दी है.

ये भी पढ़ें: Electoral Bond पर 'सुप्रीम' फैसला, SC ने तत्काल प्रभाव से लगाई रोक 

electoral bonds

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