UP Custodial Death: यूपी पुलिस पर जनता से लेकर महकमे तक, क्यों लगा रहे प्रताड़ना के आरोप?

Updated : May 03, 2022 18:58
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Deepak Singh Svaroci

UP Custodial Death: उत्तर प्रदेश में जिस तरह लोगों को पकड़ा जा रहा है और उनपर मनमाने आरोप लगाकर या तो उन्हें हवालात में बंद कर दिया जा रहा है या फिर थर्ड डिग्री टॉर्चर किया जा रहा है. इसको लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं. इतना ही नहीं पुलिस कस्टडी में कई लोगों की जानें गई हैं. हालांकि इन मौतों को लेकर पुलिस की अलग दलील है. यही वजह है कि अब कई विरोधी दल यूपी को 'पुलिस स्टेट' बताने लगे हैं. यानी कि प्रदेश में जनता की भागीदारी ज़ीरो, जो भी तय होगा शासक की मर्जी से सशस्‍त्र बलों द्वारा....

चंदौली जिले में एक युवती की मौत

उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के मनराजपुर गांव में एक युवती की मौत के बाद पुलिस की कार्यशैली को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सैयदराजा थाने की पुलिस ने दबिश के दौरान सारी सीमाएं पार कर दीं और दो सगी बहनों की जमकर पिटाई की. इतना ही नहीं आरोप है कि पुलिस की पिटाई की वजह से ही बड़ी बहन की मौत हो गई.

इस घटना के बाद वहां के गुस्साए ग्रामीणों ने एक पुलिसकर्मी की पिटाई कर दी. इतना ही नहीं वहां मौजूद वाहनों में तोड़फोड़ भी की गई. जिसके बाद एसपी चंदौली अंकुर अग्रवाल ने सैयदराजा थाने के इंस्पेक्टर उदय प्रताप सिंह को सस्पेंड कर, मामले की जांच के आदेश दिए हैं.

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उत्तर प्रदेश चुनाव में लोगों के लिए कानून-व्यवस्था ही सबसे बड़ा मुद्दा रहा है. लेकिन चुनाव से पहले हो या बाद में पुलिस की ज्यादती के लगातार कई मामले सामने आए हैं. सबसे पहले बात करते हैं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृहक्षेत्र गोरखपुर में कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता की कथित हत्या मामले की.

मनीष गुप्ता हत्याकांड

  • 6 पुलिसवालों पर मनीष गुप्ता की हत्या का आरोप
  • पुलिस पहले रफा-दफा करना चाहती थी मामला
  • मामला गर्माने के बाद पुलिसवालों पर दर्ज हुआ केस
  • मृतक की पत्नी ने पुलिसवालों पर दर्ज करवाया मामला
  • सीएम योगी 30 सितंबर 2021 को परिवार से मिले
  • मनीष की पत्नी मीनाक्षी को दिया इंसाफ का भरोसा
  • फिलहाल ट्रायल में चल रहा है यह मामला

इस मामले में जगत नारायण सिंह और उसकी टीम की बर्बरता को सीबीआई के सामने भी सिलसिलेवार बयान किया गया है. चश्मदीदों के मुताबिक पहले मनीष गुप्ता को थप्पड़ मारा और फिर बाद में उसके सिर पर बंदूक की बट से कई वार किए. इस मामले में 6 पुलिसवालों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. हालांकि पहले पुलिस मामले को रफा दफा करना चाहती थी. लेकिन बाद में मनीष की पत्नी मीनाक्षी ने केस दर्ज करवाया. इतना ही नहीं सीएम योगी ने इस मामले में परिवार वालों से मुलाकात कर उन्हें इंसाफ दिलाने का भरोसा भी दिया था. 

सिर्फ योगी के दूसरे कार्यकाल की बात करें तो प्रदेश में कई ऐसे मामले हुए हैं जब खुद पुलिसकर्मियों ने ही खाकी को कलंकित किया है.

एक नजर कुछ महत्वपूर्ण मामलों पर-

30 अप्रैल

अलीगढ़ जिले के जामुका गांव में 55 साल के सगीर मोहम्मद की पुलिस पिटाई में मौत. परिजनों ने बताया कि पुलिस सगीर को पूरे रास्ते पीटते हुए ले गई, इसी वजह से मौत हुई.

26 अप्रैल

कानपुर के किदवईनगर के ब्लॉक निवासी 26 साल के मोनू हक्कल की संदिग्ध हालत में मौत. अज्ञात पुलिसकर्मियों के खिलाफ गैर-इरदातन हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया.

24 अप्रैल

लखनऊ में नाका थाने के पुलिसकर्मी ने वाहन में धक्का न लगाने पर नाबालिग की पिटाई कर दी थी. पुलिसकर्मी की करतूत घटनास्थल के पास लगे CCTV कैमरे में कैद हो गई.

23 अप्रैल

वाराणसी के लालपुर पांडेयपुर थाने के थानाध्यक्ष सुधीर कुमार सिंह पर प्रताड़ना का आरोप लगाकर ड्राइवर यशवंत सिंह ने सिर में गोली मार ली. इस मामले में इंस्पेक्टर सुधीर कुमार सिंह को लाइन हाजिर कर जांच का आदेश देते हुए अफसरों ने मामला रफा-दफा कर दिया.

9 अप्रैल

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के छात्र सर्वेश यादव की कर्नलगंज पुलिस चौकी पर बेरहमी से पिटाई की गई. इस मामले में सब इंस्पेक्टर हर्षवीर सिंह और सोहराब आलम को निलंबित किया गया.

30 मार्च

यूपी बोर्ड की परीक्षा के दौरान बलिया में पेपर लीक की खबर प्रकाशित करने वाले तीनों पत्रकारों को बिना सबूत, 27 दिन तक बिना कारण के जेल में रहना पड़ा. इस मामले में पुलिस और प्रशासन की भारी किरकिरी हुई.

वहीं अब एक नजर पहले की प्रमुख घटनाओं पर, जिसमें पुलिस की थ्योरी को लेकर काफी छीछालेदर हुई...

17 जनवरी

लखीमपुर खीरी में राहुल के चाचा ने उस पर मोबाइल चोरी का आरोप लगाया था. 2 दिन बाद 19 जनवरी को पुलिस उसके घर पहुंची और मारना शुरू कर दिया. कुछ देर बाद हालत बिगड़ने पर अस्पताल ले गए. इलाज के वक्त 23 जनवरी को राहुल की मौत हो गई. पुलिस का कहना था कि पूछताछ के बाद राहुल को छोड़ दिया गया था. जबकि उसकी पीठ पर निशान पाए गए थे.

8 नवम्बर 2021

कासगंज में 21 साल का अल्ताफ एक मकान में टाइल लगाने का काम करता था. वहां से एक लड़की लापता हो गई. आरोप अल्ताफ पर लगे. पुलिस पूछताछ के लिए थाने ले गई, लेकिन 9 नवम्बर की शाम खबर आई, अल्ताफ ने वाशरूम की 2 फीट ऊंची टोटी में अपनी हुडी की डोरी बांधकर फांसी लगा ली. जबकि लड़के की हाईट 5 फुट 6 इंच थी.

21 मई 2021

उन्नाव जिले के बांगरमऊ में तब कोरोना पीक पर था. कई पाबंदियां थीं. 18 साल का फैजल 4 बजे, एक लोकल मार्केट में सब्जी बेच रहा था. परिजनों के मुताबिक लॉकडाउन में 1 घंटे बाद तक सब्जी बेचने की वजह से 2 पुलिसवाले बाइक पर बैठा कर थाने ले गए. बाद में उसकी मौत हो गई. पुलिस घटना की CCTV फुटेज भी नहीं दे पाई.

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28 जुलाई 2021

हमीरपुर में लड़की भगाने के मामले में पुलिस पूछताछ के लिए 22 साल के संजय को पकड़कर लाई. बैरक में बंद किया. रात 1 बजे संजय की मौत हो गई. पुलिस के मुताबिक संजय ने अपनी शर्ट निकालकर गले में बांधा फिर गेट पर चढ़ा और गेट से लटक कर फांसी लगा ली. शव रातों-रात पोस्टमॉर्टम हाउस पहुंचा दिया गया. उस दौरान हवालात का कैमरा और सामने के ऑफिस का कैमरा, दोनों खराब था.

आंकड़ों में जानते हैं कि पिछले छह सालों में पुलिस कस्टडी में कितनी मौतें हुई हैं?

पुलिस कस्टडी में मौत

1 अप्रैल 2015 से 31 मार्च 2016 तक-
350 लोगों की पुलिस कस्टडी में मौत
15 की लॉकअप में मौत

1 अप्रैल 2016 से 31 मार्च 2017 तक-
400 लोगों की पुलिस कस्टडी में मौत
11 की लॉकअप में मौत

1 अप्रैल 2017 से 31 मार्च 2018 तक-
390 लोगों की पुलिस कस्टडी में मौत
10 की लॉकअप में मौत

1 अप्रैल 2018 से 31 मार्च 2019 तक-
452 लोगों की पुलिस कस्टडी में मौत
12 की लॉकअप में मौत

1 अप्रैल 2019 से 31 मार्च 2020 तक-
400 लोगों की पुलिस कस्टडी में मौत
03 की लॉकअप में मौत

1 अप्रैल 2020 से 31 मार्च 2021 तक-
443 लोगों की पुलिस कस्टडी में मौत
8 की लॉकअप में मौत

कस्टोडियल डेथ में उत्तर प्रदेश नंबर वन

कस्टोडियल डेथ के मामले में उत्तर प्रदेश नंबर वन पर है. आपको जानकर हैरानी होगी कि इस मामले में जो राज्य दूसरे नंबर पर है वह यूपी से तीन गुना पीछे है. आंकड़ों के मुताबिक यूपी में साल 2018-19 में 464 कस्टोडियल डेथ हुई, जबकि 2019-2020 में 403 और 2020-2021 में 451. जबकि पश्चिम बंगाल कस्टोडियल डेथ के मामले में दूसरे नंबर पर है. यहां पर 2018-19 में 115, 2019-2020 में और 2020-2021 में 177 कस्टोडियल डेथ हुई है.

कस्टोडियल डेथ

यूपी- 2018-19- 2019-2020- 2020-2021
464 403 451
पश्चिम बंगाल- 115 115 177

सवाल उठता है कि पुलिस कस्टडी में किसी भी आरोपी या दोषी को टॉर्चर करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कई नियम बताएं हैं लेकिन क्या वजह है कि पुलिस धड़ल्ले से उसका उल्लंघन कर रही है...

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