2 जून वह तारीख है जब साल 2014 में देश को तेलंगाना (Telangana) के तौर पर 28 वां राज्य मिला. हालांकि ये इतना आसान भी नहीं था. करीब 50 सालों के संघर्ष और कुर्बानियां के बाद तेलंगाना राज्य अस्तित्व में आया. मूल रूप से हैदराबाद (Hyderabad) के पूर्व निजाम की रियासत (Former Nizam's State) हिस्सा रहा ये इलाका तेलुगू बोलने वाले लोगों (Telugu speaking) के सपनों का राज्य है...आइए जानते हैं इसके बनने कही कहानी को
ऐसे शुरू हुआ तेलंगाना आंदोलन
हैदराबाद रियासत के भारत में विलय के बाद हुई मांग
1 नवंबर 1956 को मद्रास प्रेसिडेंसी से अलग होकर आंधप्रदेश बना
मद्रास का हिस्सा रहे तेलंगाना का भी आंध्र प्रदेश में विलय
1969 में तो 'जय तेलंगाना' आंदोलन हिंसक हो गया
इसके बाद प्रशासन और आंदोलनकारियों में समझौता हुआ
गैर तेलुगू भाषी लोगों का सरकारी पदों से तबादला किया गया
इसके बाद भी आंदोलन शांत नहीं हुआ, हिंसक संघर्ष हुआ
पुलिस के साथ हिंसक झड़प में 300 लोगों की मौत हुई
बाद में कई वजहों से आंदोलन तो धीमा पड़ा लेकिन फिर 1973 में एक बार फिर से अलग राज्य की मांग ने जोर पकड़ा लेकिन केन्द्र और राज्य सरकारें इसे दबाती रहीं. 1998 के चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) ने 'एक मत, दो राज्य' का नारा देकर अलग तेलंगाना राज्य की मांग का समर्थन किया. साल 2001 में के. चंद्रशेखर राव ने तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) की स्थापना की. साल 2009 में के चंद्रशेखर राव (K Chandrasekhar Rao), यानी KCR भूख हड़ताल पर बैठे.
तेलंगाना के आंदोलन का दूसरा चरण
के चंद्रशेखर राव 29 दिसंबर 2009 को भूख हड़ताल पर बैठे
11 दिनों की हड़ताल के बाद केन्द्र सरकार ने मांगों को माना
फरवरी 2010 में केंद्र सरकार ने 6 सदस्यों की कमेटी बनाई
3 अक्टूबर 2013 को केंद्र सरकार ने तेलंगाना के गठन को मंजूरी दी
इसके बाद 2 जून 2014 को तेलंगाना राज्य का गठन हुआ
राज्य बनने के बाद के चंद्रशेखर राव ही इसके पहले मुख्यमंत्री बने. तब से लेकर अब तक राज्य की सत्ता KCR के ही ईद-र्गिद घूमती रही.