History 9 May: प्रेग्नेंसी रोकने वाली दुनिया की पहली बर्थ कंट्रोल पिल को मिली थी मंजूरी, देखें इतिहास

Updated : May 08, 2024 23:21
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Editorji News Desk

History 9 May: इतिहास में आज सबसे पहले बात उस दवाई की जिसे आज भी अनचाही प्रेग्नेंसी रोकने के लिए खूब इस्तेमाल किया जाता है. 1960 में आज ही के दिन अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने दुनिया की पहली बर्थ कंट्रोल पिल को मंजूरी दी थी. इस पिल का नाम इनोविड-10 था जिसे जीडी सर्ल नामक कंपनी ने बनाया था.

किसके दिमाग की उपज थी बर्थ कंट्रोल पिल ?
बर्थ कंट्रोल पिल को अमेरिकी महिला और बर्थ कंट्रोल एक्टिविस्ट मार्ग्रेट सेंगर के दिमाग की उपज माना जाता है. सेंगर ने इसके लिए करीब 50 साल तक संघर्ष किया था. वो एक नर्स थीं

पहला बर्थ कंट्रोल क्लीनिक खुला था 
1916 में उन्होंने अमेरिका का पहला बर्थ कंट्रोल क्लीनिक न्यूयॉर्क के ब्रूकलिन में खोला था. ये वो दौर था जब दुनिया के ज्यादातर देशों में बर्थ कंट्रोल और गर्भपात को गैरकानूनी माना जाता था. इसी वजह से ये क्लीनिक महज 10 दिन ही चल सका.

अगले ही साल न्यूयॉर्क की एक कोर्ट ने सेंगर को 30 दिनों के लिए जेल में डाल दिया. 1914 में उन्होंने ‘फैमिली लिमिटेशन’ नाम की किताब लिखी. इस किताब पर भी बैन लगा दिया गया. उन पर मुकदमा हो गया और उन्हें देश छोड़कर भागना पड़ा.

1950 में सेंगर पहली बार जीव विज्ञानी ग्रेगरी गुडविन पिंकस से मिलीं. इस मुलाकात में उन्होंने पिंकस से ओरल बर्थ कंट्रोल पिल पर काम करने का अनुरोध किया. सेंगर का प्रस्ताव बहुत जोखिम भरा था.

आज ही के दिन मिली थी पिल की मंजूरी
हालांकि, लंबे सोच विचार के बाद 1953 में ग्रेगरी पिंकस ने जॉन रोक के साथ मिलकर बर्थ कंट्रोल पिल बनाने का काम शुरू किया. 29 अक्टूबर 1959 को फार्मा कंपनी जीडी सेरल्स ने बर्थ कंट्रोल पिल बनाने की मंजूरी के लिए अमेरिका की फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) में एप्लीकेशन डाली. 1960 में आज ही के दिन FDA ने इसको मंजूरी दे दी. दो दिन बाद 11 मई को FDA ने इसके इस्तेमाल को मंजूरी देने का सार्वजनिक तौर पर ऐलान किया.

इसके बाद से ही इन पिल्स का इस्तेमाल बढ़ने लगा. आज भी अनचाही प्रेग्नेंसी रोकने के लिए पिल्स का इस्तेमाल खूब किया जाता है.

वर्ल्ड बैंक ने पहली बार दिया था कर्ज
इतिहास के दूसरे अंश में बात करते हैं दुनिया के अलग अलग देशों को कर्ज देने वाले वर्ल्ड बैंक की. 1947 में आज ही के दिन वर्ल्ड बैंक ने पहली बार किसी देश को लोन दिया था. दरअसल 25 जून 1946 को इस बैंक ने आधिकारिक तौर पर कामकाज शुरू किया. इसके पास लोन के लिए पहली अर्जी फ्रांस की आई. फ्रांस ने वर्ल्ड बैंक से 500 मिलियन डॉलर का लोन मांगा, जिससे फ्रांस में स्टील और कोल प्लांट्स का रिकंस्ट्रक्शन किया जा सके. वर्ल्ड बैंक फ्रांस को 250 मिलियन डॉलर देने को राजी हुआ.

वर्ल्ड बैंक की स्थापना 1944 में अमेरिका के न्यू हैम्पशायर में ब्रेटन वुड्स सम्मेलन के दौरान हुई थी. इसका मुख्यालय अमेरिका के वॉशिंगटन में है. इस बैंक की स्थापना का उद्देश्य निम्न और मध्यम आय वाले देशों को विकास परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना था. स्थापना के बाद से ही वर्ल्ड बैंक विकासशील देशों की वित्तीय मदद करता आया है.

कोरोना की पहली लहर से निपटने के लिए 2020 में भी वर्ल्ड बैंक ने कई देशों को फंड दिया था. भारत को भी वर्ल्ड बैंक की ओर से 1 बिलियन डॉलर का इमरजेंसी फंड मिला था.

गांधी जी के 'राजनीतिक गुरु' का हुआ था जन्म 
इतिहास के तीसरे अंश में बात उस स्वतंत्रता सेनानी की जिन्हें महात्मा गांधी भी अपना राजनीतिक गुरु मानते थे. जी हां, स्वतंत्रता सेनानी, समाजसेवी और विचारक गोपाल कृष्ण गोखले का जन्म आज ही के दिन 1866 में महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में हुआ था. उन्हें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उत्कृष्ट सामाजिक और राजनीतिक कार्यों के लिए जाना जाता है. 1884 में उन्होंने एलफिंस्टन कॉलेज से ग्रेजुएशन किया. इसके बाद पुणे के एक स्कूल में इतिहास और राजनीति विज्ञान पढ़ाने लगे. इसी दौरान वे समाज सुधारक महादेव गोविंद रानाडे के संपर्क में आए. रानाडे के विचारों का प्रभाव उन पर जीवनभर रहा.

गोखले 22 साल की उम्र में बंबई विधान परिषद के सदस्य बने. इसी के साथ ही उनका राजनीतिक जीवन शुरू हो गया.

1899 में वे कांग्रेस के सदस्य बन गए. 1905 में गोखले को कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए चुना गया. गोखले ने भारतीय शिक्षा को विस्तार देने के लिए सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी की स्थापना की. गोखले का मानना था कि स्वतंत्र और आत्मनिर्भर बनने के लिए शिक्षा सबसे ज्यादा जरूरी है. इस सोसाइटी का उद्देश्य युवाओं को शिक्षा के प्रति जागरूक करने के साथ-साथ उन्हें शिक्षा देना था. गोखले को गांधी जी भी अपना राजनीतिक गुरु मानते थे. गांधी जी ने गोखले के ऊपर ‘धर्मात्मा गोखले’ नामक एक किताब भी लिखी थी.

मोहब्बत की पहचान ताजमहल बनकर हुआ था तैयार
कहा जाता है मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज महल की याद में मोहब्बत की जो निशानी बनवानी शुरू की थी वो आज ही के दिन बनकर पूरी हुई थी. 22 साल की कड़ी मेहनत के बाद 9 मई 1653 को ताजमहल (Tajmahal) बनकर पूरा हुआ था. ताजमहल शाहजहां (Shahjahan) की तीसरी बेगम मुमताज महल (Mumtaz Mahal) की मज़ार है. मुमताज के गुज़र जाने के बाद उनकी याद में शाहजहां ने ताजमहल बनवाया था. कहा जाता है कि मुमताज़ महल ने मरते वक्त मकबरा बनाए जाने की ख्वाहिश जताई थी जसके बाद शाहजहां ने ताजमहन बनावाया. ताजमहल को सफेद संगमरमर से बनवाया गया है. इसके चार कोनों में चार मीनारे हैं. शाहजहां ने इस अद्भूत चीज़ को बनवाने के लिए बगदाद और तुर्की से कारीगर बुलवाए थे.

9 मई का इतिहास -

  • 2012: अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने समलैंगिक विवाह को अपना समर्थन दिया.
  • 2009: नासा ने चांद पर पानी की खोज के लिए टोही यान भेजा.
  • 2009: जैकब जुमा दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति बने.
  • 2004: चेचन्या में एक विस्फोट में वहां के राष्ट्रपति अखमद कादरोव का निधन हुआ.
  • 1998: भारतीय गजल गायक और अभिनेता तलत महमूद का निधन.
  • 1986: माउंट एवरेस्ट, हिमालय पर पहुंचने वाले सर्वप्रथम इंसान तेनजिंग नोर्गे का निधन.
  • 1955: पश्चिम जर्मनी नाटो का सदस्य बना. फ्रांस स्थित नाटो मुख्यालय में जर्मनी का ध्वज फहराया गया.
  • 1901: ऑस्ट्रेलिया की पहली संसद मेलबर्न में शुरू की गई.
  • 1874: बॉम्बे (अब मुंबई) में पहली बार घोड़े से खींची जाने वाली ट्रॉम शुरू की गई
  • 1540: राजस्थान के कुंभलगढ़ में महाराणा प्रताप का जन्म हुआ। वे मेवाड़ के 54वें राजा थे.
  • 1502: क्रिस्टोफर कोलंबस ने स्पेन से अपने चौथे और आखिरी सफर की शुरुआत की. इस यात्रा के दौरान कोलंबस ने निकारागुआ, जमैका, क्यूबा जैसी जगहों की खोज की.

ये भी पढ़ें: History 08 May: विक्ट्री ऑफ यूरोप और ऑक्सीजन की खोज...बड़ा ही रोचक है आज का इतिहास 

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