वैसे तो देश ही नहीं दुनिया में साल 2002 में हुए गुजरात दंगों (gujarat riots) की चर्चा रही है लेकिन इन दंगों में भी जिस वारदात की सबसे ज्यादा चर्चा रही है वो है नरोदा पाटिया (Naroda Patiya) में हुआ दंगा...हालांकि इसे दंगा कहना भी एक मायने में सही नहीं है क्योंकि ये नरसंहार (Massacre) जैसा था...तब तारीख थी- 28 फरवरी 2002...कुल 97 लोगों की मौत हुई थी...सैकड़ों लोग बेघर हो गए थे. इलाके में किसी के भी घर में कोई कमाने वाला नहीं बचा था. आइए थोड़ी और गहराई से जानते हैं क्या हुआ था उस दिन...
कैसे भड़का नरोदा पाटिया में दंगा ?
27 फरवरी को गोधरा में साबरमती एक्स. के डिब्बे जलाए गए
कारसेवकों से भरी रेलगाड़ी में आग लगी, 90 यात्री मारे गए
28 फरवरी को विश्व हिंदू परिषद् ने गुजरात बंद का आह्वान किया
इसी दौरान अहमदाबाद के नरोदा पाटिया इलाके में हुई भारी हिंसा
5000 लोगों की हिंसक भीड़ ने पूरे इलाके में कत्लेआम मचाया
तब क्या हुआ था नरोदा पाटिया में ?
करीब 10 घंटे तक पूरे नरोदा पाटिया में हिंसा हुई
लूटपाट, रेप हत्या और लोगों को जिंदा जलाने की वारदात
पूरे इलाके में कर्फ्यू लगाया गया, सेना की तैनाती करनी पड़ी
गुजरात दंगों में सबसे बड़ा कत्लेआम, 97 लोगों की मौत
नरोदा पाटिया केस का सफर यूं रहा
2009 में शुरू हुआ नरोदा पाटिया कांड का मुकदमा
तब 62 आरोपियों पर केस, 327 लोगों के बयान हुए
साल 2012 में इसी मामले में स्पेशल कोर्ट का गठन
पूर्व मंत्री माया कोडनानी और बाबू बजरंगी दोषी करार
पूरे मामले में 32 लोगों को दोषी ठहराया गया था
मंत्री रही माया कोडनानी को 28 साल की सजा हुई
बाबू बजरंगी समेत बाकी सभी आरोपियों को उम्रकैद की सजा
इस केस में कुल 86 आरोपी थे, जिसमें से 18 की मौत हो गई है
गृहमंत्री अमित शाह भी रहें है मामले में गवाह
18 सितंबर 2017 को गृहमंत्री अमित शाह कोर्ट में पेश हुए
अमित शाह ने माया कोडनानी की तरफ से गवाही दी
शाह ने बताया- उस दिन कोडनानी नरोदा गांव में नहीं थी
शाह के मुताबिक कोडनानी उस दिन सिविल अस्पताल में थीं