उत्तर प्रदेश के बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी पूर्वांचल में एक समय सबसे ताकतवर शख्स के रूप में जाना जाता था. बात इसके परिवार की करें तो गाजीपुर में एक प्रतिष्ठित हैसियत रखता था. मुख्तार के दादा डॉ. मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे और कांग्रेस के बड़े नेता थे. मुख्तार पर भले ही 60 से ज्यादा मामले दर्ज हों, लेकिन मुख्तार अंसारी के नाना ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान को 1947 की लड़ाई में शहादत के लिए महावीर चक्र से नवाजा गया था. मुख्तार के पिता सुभानउल्ला अंसारी गाजीपुर में अपना साफ-सुथरी छवि के साथ राजनीति में सक्रिय रहे. सबसे बड़ी बात कि भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी मुख्तार के चाचा लगते हैं. लेकिन खुद मुख्तार अंसारी की जिंदगी में अपराध ही अपराध शामिल हैं. वह 1996 में पहली बार बसपा के टिकट से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचा. इसके बाद वर्ष 2002, 2007, 2012 और फिर 2017 में भी मऊ से ही जीत दर्ज की. तीन चुनाव तो उसने जेल में रहते हुए लड़ा और जनता ने उसे जीत का सेहरा भी पहना दिया. कहा जाता है कि इसी राजनीति की ढाल ने मुख्तार को जुर्म की दुनिया का बड़ा चेहरा बना दिया. अब अवधेश राय हत्याकांड में उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. इससे पहले कृष्णानंद राय हत्याकांड में उसे 10 साल की सजा सुनाई जा चुकी है.
ऐसे प्रतिष्ठित परिवार की छाया में पले-बढ़े मुख्तार अंसारी ने राजनीति के साथ माफियागिरी को अपना रास्ता चुना. 1988 में पहली बार मुख्तार अंसारी का नाम अपराध की दुनिया में सामने आया था. मंडी परिषद की ठेकेदारी को लेकर लोकल ठेकेदार सच्चिदानंद राय की हत्या के मामले में मुख्तार को नामजद किया गया था.
मुख्तार ने राजनीति में यहां से की शुरुआत
साल 1995 में मुख्तार अंसारी अपराध की दुनिया से मुख्यधारा की राजनीति में प्रवेश किया. 1996 में पहली बार मुख्तार अंसारी बसपा के टिकट पर यूपी के मऊ से विधायक चुना गया. उसके बाद मऊ विधानसभा से साल 2002 और 2007 के विधानसभा चुनाव में मुख्तार अंसारी बतौर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर विधायक निर्वाचित हुए. 2012 में मुख्तार अंसारी और भाई अफजाल अंसारी ने कौमी एकता दल के नाम से पार्टी का गठन किया. 2012 के विधानसभा चुनाव में मुख्तार अंसारी कौमी एकता दल से मऊ सीट से लड़े और जीते.
मुरली मनोहर जोशी के खिलाफ भी लड़ा चुनाव
साल 2009 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी में मुरली मनोहर जोशी के खिलाफ मुख्तार अंसारी बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन इस चुनाव में उन्हें हार का समाना करना पड़ा था. मुख्तार अंसारी ने बीजेपी प्रत्याशी मुरली मनोहर जोशी को कड़ी टक्कर दी थी और वह चुनाव परिणाम में दूसरे नंबर पर था. नवंबर 2005 में बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की बीच सड़क पर दर्दनाक हत्या कर दी गई थी. जेल में बंद मुख्तार अंसारी पर इस हत्या का आरोप लगा.
कहा जाता है कि मुख्तार अंसारी ने अपने शूटर मुन्ना बजरंगी और अतीक-उर-रहमान की मदद से कृष्णानंद राय की हत्या करवाई थी. हालांकि, सबूतों के अभाव में मुख्तार अंसारी को निचली अदालत से बरी कर दिया गया था. मुख्तार अंसारी के पिता सुब्हानुल्लाह अंसारी कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े थे. उनकी छवि साफ-सुथरी थी. इसी के बल पर वह 1971 के नगर पालिका चुनाव में निर्विरोध चुने गए थे. मुख्तार अंसारी के चाचा हामिद अंसारी उप-राष्ट्रपति थे और भाई अफजल अंसारी गाजीपुर से सांसद हैं. 2017 में कौमी एकता दल का बसपा में विलय हुआ.