How did tandoor come to India? : तंदूरी नान (Tandoori Naan) हो, तंदूरी रोटी (Tandoori Roti) हो, तंदूरी चिकन हो (Tandoori chicken), तंदूरी कबाब (Tandoori Kebab) या फिर तंदूरी नाइट्स (Tandoori Nights)... ऐसे न जाने कितने शब्द आप हर रोज सुनते हैं. लेकिन क्या आपका ध्यान कभी इस बात पर गया है कि ये तंदूर आया कहां से? (How did tandoor come to India?)
आपको शायद ये जानकार हैरानी हो लेकिन इतिहासकारों के हिसाब से मुगल शहंशाह बाबर (Mughal Ruler Babur) भारत में पहली बार तंदूर लेकर आया था... वह बाबर ही है जिसकी बदौलत हम और आप तंदूर को जानते हैं और तंदूर में पके डिशेज बड़े चाव से खाते हैं...
तंदूरी खाने को हम सभी पसंद करते हैं लेकिन इसकी शुरुआत कैसे हुई इस सवाल की ओर कम ही लोगों का ध्यान गया होगा. टाइम्स लिटफेस्ट 2019 के सेशन में फूड एक्सपर्ट्स के एक पैनल ने तंदूर की शुरुआत पर बात की थी और हैरानी ये जानकर हुई थी कि इसे बाबर पहली बार भारत में लेकर आया था...
जब बाबर भारत आया तो वह अपने साथ तंदूर भी लेकर आया. भारत पर चढ़ाई कर रही सेना के लिए यह एक रसोईघर था जिसे कहीं भी ले जाया जा सकता था. मुगलों पर फिक्शन सीरीज लिखने वाले डायना प्रेसटन और माइकल प्रेसटन (Diana Preston and Michael Preston) ने बताया था कि यह मुगलों की एक विरासत थी.
माइकल ने कहा कि उन्होंने कुछ भारतीय रसोइयों से यह जानकारी जुटाई है. मुगल क्योंकि दक्षिण भारत को पूरी तरह से अपने शासन में नहीं ला सके इसलिए तंदूर वहां अभी भी नहीं पहुंच सका है.
बाबर के बारे में अफवाह थी कि भारतीय रोटी उसे पसंद नहीं थी... 16वीं शताब्दी की शुरुआत में फारस और फरगना घाटी से वह रोटी जैसा ही दिखने वाला कुछ ऐसा पकवान लेकर आया था जिसे मैदे से बनाया गया था... यह कुछ कुछ पराठे जैसा था... भारत में पहली बार इसे मेमने की चर्बी में डुबोकर कबाब के साथ परोसा गया था...
ज़हीरुद्दीन मुहम्मद उर्फ बाबर भारत में मुग़ल साम्राज्य का संस्थापक और पहला शासक था. बाबर का जन्म मध्य एशिया के उज़्बेकिस्तान में हुआ था. वह तैमूर और चंगेज़ ख़ान का वंशज था. बाबर ने 1504 में काबुल, 1507 में कंधार को जीता और बादशाह की पदवी पाई.
1519 से 1526 तक बाबर ने भारत पर 5 बार हमले किए. 1526 में बाबर ने पानीपत के मैदान में दिल्ली सल्तनत के आखिरी सुल्तान इब्राहिम लोदी को हराकर मुग़ल साम्राज्य की नींव रखी. बाबर ने 1527 में ख़ानवा, 1528 में चंदेरी व 1529 में घग्गर जीतकर अपने राज्य को सुरक्षित किया. 1530 ई० में बाबर की मृत्यु हुई.
'ए पैसेज टू इंडिया: द आउटसाइडर्स पर्सपेक्टिव' सेशन में ये दिलचस्प जानकारी शेयर की गई. ‘Hicky’s Bengal Gazette: The Untold Story of India’s First Newspaper’ के लेखक एंड्रयू ओटिस ने जेम्स ऑगस्टस हिकी की यात्रा को खंगाला है. हिकी ही पहले शख्स थे जिन्होंने भारत में समाचार पत्र की शुरुआत की थी.
यह पूछने पर कि भारतीय मीडिया हिकी से क्या सीख सकती है, ओटिस ने कहा कि सत्ता के सामने सच बोलने की अहमियत हिकी से सीखनी चाहिए. पत्रकारों को इस बात के प्रति जागरूक होना चाहिए कि वे क्या भूमिका निभा रहे हैं और इतिहास उन्हें कैसे याद रखेगा.
हिकी की तरह बहुत से यूरोपीय थे जो बिना किसी मेडिकल एक्सपीरियंस के डॉक्टर के रूप में भारत आए थे. डायना प्रेस्टन ने कहा, "मुगल साम्राज्य में डॉक्टरों के रूप में जबरदस्त बदमाश आ रहे थे." पैनलिस्ट इस बात पर एकमत थे कि भारत आज भी एक शानदार जगह है जहां अलग अलग संस्कृतियां साथ रहती हैं.
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