नागपुर (Nagpur) में दशहरा के मौके पर अपने सालाना संबोधन में RSS प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने कई अच्छी बातें कही लेकिन व्यापक जनसंख्या नीति (Population policy) या जनसंख्या असंतुलन को लेकर कही गई उनकी बात पर कई संगठनों ने ऐतराज जताया है...कांग्रेस (Congress) से लेकर असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) तक ने उनके बयान को गैरजरूरी करार दिया...
हालांकि खुद भागवत ने अपने संबोधन में किसी समुदाय का नाम नहीं लिया लेकिन उनके इशारे को साफ समझा जा सकता है...दरअसल RSS देश में शासन चला रही BJP की मातृसंस्था है लिहाजा उसके प्रमुख का कोई भी बयान न सिर्फ सुर्खियां बटोरता है बल्कि उस पर सियासत भी खूब होती है...लेकिन हम आपको यहां ये बताने जा रहे हैं कि क्या वाकई देश में जनसंख्या असंतुलन की स्थिति है?
बता दें कि आधिकारिक तौर पर भारत में अंतिम जनगणना साल 2011 (2011 Census) में हुई थी. उसके अलावा NHFS (नेशनल फैमली हेल्थ सर्वे) के सर्वे से भी हम जनसंख्या की स्थिति की जानकारी ले सकते हैं. सबसे पहले नजर डाल लेते हैं कि भारत में धर्म के आधार पर जनसंख्या की स्थिति क्या है?
धार्मिक आधार पर जनसंख्या कितनी?
भारत की कुल आबादी एक अरब 20 करोड़ है
हिंदू करीब 80% तो मुस्लिमों की आबादी 14.2% है
ईसाई, सिख, बौद्ध और जैन को मिला दें तो ये 6% हैं
साल 2011 में 30 हजार भारतीय नास्तिक हैं
83 धार्मिक समूह ऐसे हैं जिनके मानने वाले 100 से भी कम हैं
Source- प्यू रिसर्च सेंटर एंड 2011 की जनसंख्या
वैसे हम किसी भी आधिकारिक आंकड़े पर नजर डालें तो उससे साफ होता है कि मुस्लिम समुदाय किसी भी हालत में हिंदू समुदाय से आगे नहीं निकल सकता है...इसको अच्छे से समझने के लिए हम कुछ तथ्यों पर गौर कर सकते हैं...
क्या हिंदुओं की संख्या कम हो रही है?
NHFS के मुताबिक देश में प्रजनन दर 2.1% है
हिंदू-मुस्लिम में बच्चे पैदा करने का अंतर कम हो रहा है
साल 1991-92 में ये अंतर 1.1 का था जो अब 0.3 है
दो दशकों में हिंदुओं में फर्टीलिटी रेट 30% कम हुआ
इसी वक्त में मुस्लिमों में फर्टीलिटी रेट 35% कम हुआ
साल 2030 तक हिंदू-मुसलमानों का फर्टीलिटी रेट बराबर होगा
जाहिर है जिस तरह से शिक्षा का प्रसार हो रहा है वैसे-वैसे समाज में जागरूकता भी बढ़ रही है. सरकारी आंकड़े ही बता रहे हैं कि कम बच्चे ही अच्छे ये अब हम भारतीय बखूबी समझने लगे हैं चाहें वो किसी भी समुदाय के हों. ऐसे में जनसंख्या असंतुलन पैदा होने की बात पूरी तरह से सही नहीं बैठती है.