“टाटा” नाम का इस्तेमाल करने पर देना होगा रॉयल्टी चार्ज. खबर टाटा ग्रुप की कंपनी-टाटा संस से जुड़ी है, टाटा संस ने ब्रांड सब्सक्रिप्शन योजना की लिमिट को बढ़ाकर 200 करोड़ रुपये कर दिया है. इस योजना के तहत टाटा संस अपने ग्रुप की उन कंपनियों से रॉयल्टी चार्ज लेती है जो "टाटा" ब्रांड नाम का इस्तेमाल करते है. आपको बता दें, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस), टाटा स्टील और टाटा मोटर्स जैसी कंपनियां "टाटा" नाम का इस्तेमाल करने के विशेषाधिकार के लिए रॉयल्टी का भुगतान करती है. देश की दिग्गज आईटी कंपनी टीसीएस ने वित्त वर्ष 2024 के लिए रॉयल्टी का भुगतान किया था. शेयरहोल्डर को भेजे गए लेटर में टीसीएस ने वित्त वर्ष 2024 के दौरान टाटा संस को 200 करोड़ रुपये का रॉयल्टी भुगतान करने की बात कही है.
टाइम्स ऑफ इंडिया (टीओआई) की एक रिपोर्ट के मुताबिक टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन टाटा ने 1996 में ब्रांड सब्सक्रिप्शन योजना शुरू की थी। इस योजना में कहा गया था कि सीधे टाटा नाम का उपयोग करने वाली समूह की कंपनी अपने वार्षिक राजस्व का 0.25 प्रतिशत या अपने प्रॉफिट का 5 प्रतिशत योगदान देगी। दूसरी ओर अप्रत्यक्ष रूप से टाटा नाम का इस्तेमाल करने वाली समूह इकाई को अपने वार्षिक राजस्व का 0.15 प्रतिशत भुगतान करना होगा।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, टाटा संस के चेयरमैन रतन टाटा ने 1996 में ब्रांड सब्सक्रिप्शन योजना शुरू की थी. योजना में कहा गया था कि टाटा नाम का उपयोग करने वाली समूह की कंपनी अपने वार्षिक रेवेन्यू का 0.25 फीसदी या अपने प्रॉफिट का 5 फीसदी योगदान देगी. इसके साथ ही अप्रत्यक्ष रूप से टाटा नाम का इस्तेमाल करने वाली समूह इकाई को अपने वार्षिक राजस्व का 0.15 प्रतिशत भुगतान करना अनिवार्य होगा.
2015 में साइरस मिस्त्री के नेतृत्व में टाटा संस ने मैक्सिमम ब्रांड सब्सक्रिप्शन शुल्क के लिए 75 करोड़ रुपये की सीमा तय की थी, बाद में मौजूदा चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने इस सीमा को 33 फीसदी बढ़ा दिया. करीब 5 साल तक रॉयल्टी चार्ज 100 करोड़ रुपये रहने के बाद अब दोगुना यानी 200 करोड़ रुपये कर दिया गया है. हालांकि, टाटा संस ने ग्रुप की कंपनियों के कर-पूर्व लाभ से जुड़े शुल्क को समाप्त कर दिया है. वित्तीय वर्ष 2023 में इस योजना के तहत ब्रांड सब्सक्रिप्शन की आय में 1,008 करोड़ जुटाए थे.