Bengaluru Bandh: तमिलनाडु को कावेरी नदी का पानी छोड़ने के कर्नाटक सरकार के फैसले के खिलाफ बेंगलुरु शहर में विरोध प्रदर्शन तेज हैं और बंद के ऐलान हो रहे हैं. मंगलवार को राजधानी बेंगलुरू में 12 घंटे का बंद बुलाया गया. इसके अलावा, कन्नड़ समर्थक संगठनों ने 29 सितंबर को एक और बंद बुलाया है. बीजेपी और आप जैसी विपक्षी पार्टियों ने भी बंद का समर्थन किया है.
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, कर्नाटक एम्प्लॉयर्स एसोसिएशन (KEA) और कर्नाटक चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FKCCI) जैसे उद्योग निकायों का अनुमान है कि 2 दिन के बंद से कर्नाटक राज्य को लगभग 4,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है.
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FKCCI के निर्वाचित अध्यक्ष रमेश चंद्र लाहोटी ने कहा, "केवल व्यापारियों की तरफ से एक दिन के बंद से राज्य के जीएसटी कलेक्शन को 100 करोड़ रुपये का नुकसान होता है."
उद्योग निकायों का तर्क है कि इन बंद की वजह से 1-ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में रुकावट आ सकती है. केईए के अध्यक्ष बीसी प्रभाकर ने बताया, "बंद की वजह से लोगों की आजीविका को नुकसान पहुंचता है. बंद कभी भी किसी भी मुद्दे का विकल्प नहीं हो सकते, चाहे वे भावनात्मक हों या राजनीतिक."
Times Now की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि होटल व्यवसायी संघ ने एक्साइज ड्यूटी में 100 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया है. यह संघ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से करीब 10 लाख लोगों को रोजगार देता है.
इस बीच, ओला-उबर ड्राइवर्स एसोसिएशन ने कहा कि वे कन्नड़ समर्थक संगठनों द्वारा बुलाए गए 29 सितंबर के बंद को पूरा समर्थन देंगे, लेकिन 26 सितंबर की हड़ताल का समर्थन नहीं करेंगे.
दरअसल, 13 सितंबर को कावेरी वाटर मैनेजमेंट अथॉरिटी (CWMA) ने एक आदेश जारी किया था जिसमें कहा गया कि कर्नाटक अगले 15 दिन तक तमिलनाडु को कावेरी नदी से 5 हजार क्यूसेक पानी दे. कर्नाटक के किसान संगठन, कन्नड़ संगठन और विपक्षी पार्टियां इस फैसले का विरोध कर रही हैं.
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