Hindenburg Report: एक रिपोर्ट और धड़ाम हो गया ग्रुप! Gautam Adani के लिए एक हफ्ते में कैसे बदल गए हालात?

Updated : Feb 04, 2023 20:41
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Mukesh Kumar Tiwari

Gautam Adani vs Hindenburg Research: साल 2023 अरबपति गौतम अडानी (Gautam Adani) के लिए कुछ अच्छा साबित होता नहीं दिखाई दे रहा है. एक हफ्ते पहले अडानी जिस बुलंदी पर थे और वह जमीन पर आती दिखाई दे रही है. ये सब हुआ भी तो सिर्फ 1 हफ्ते के छोटे से वक्त में... अमेरिका की शॉर्ट-सेलर कंपनी हिंडनबर्ग (Hindenburg Research) की रिपोर्ट ने अडानी के लिए सबकुछ बदलकर रख दिया... 

रिपोर्ट में ग्रुप पर कई गंभीर आरोप लगाए गए और इसके बाद न सिर्फ गौतम अडानी की दौलत और रैंकिंग में बड़ी गिरावट आई बल्कि ग्रुप के शेयर भी धड़ाम हो गए हैं...एक के बाद एक बुरे घटनाक्रमों के बाद कंपनी ने अपना FPO यानी फॉलो ऑन पब्लिक ऑफरिंग रद्द कर दिया है. आइए झटपट समझते हैं कि अडानी ग्रुप के लिए अचानक सबकुछ कैसे बदल गया...

24 जनवरी को अमेरिका की शॉर्ट-सेलर कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आई. इस रिपोर्ट में अडानी ग्रुप पर आरोप लगाए गए कि उसके 85% स्टॉक ओवरवैल्यूड हैं. रिपोर्ट में कहा गया कि ग्रुप शेल कंपनियां बनाकर स्टॉक में हेराफेरी-धोखाधड़ी कर रहा है.

इधर रिपोर्ट आई, उधर अडानी के शेयर जमीन पर आ गिरे. एक दिन बाद 25 जनवरी को ही, कंपनी के शेयर भरभराकर गिरने लगे. 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर मार्केट क्लोज था. इस दिन अडानी ग्रुप ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को खारिज किया और इसे FPO के खिलाफ साजिश बताया. ग्रुप की सफाई कोई असर नहीं दिखा सकी, 27 जनवरी को मार्केट खुले और अडानी के शेयर डगमगाते ही दिखे. ब्लूमबर्ग की मानें तो गुरुवार तक अडानी ग्रुप का 100 बिलियन डॉलर से ज्यादा मार्केट कैपिटल डूब चुका है.

अडानी की 8 कंपनियां मॉर्गन स्टेनली कैपिटल इंटरनेशनल (MSCI) का हिस्सा हैं. 28 जनवरी को MSCI ने हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट को लेकर अडानी समूह की सिक्योरिटीज पर फीडबैक मांगा.

29 जनवरी को अडानी ग्रुप ने बयान जारी कर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट का भारत पर सोचा समझा हमला बताया. हालांकि हिंडनबर्ग ने कहा कि ग्रुप रिपोर्ट के ज्यादातर सवालों का जवाब देने में नाकाम रहा.

इन सबके बीच अडानी के शेयरों में बिकवाली का दौर तेजी पर पहुंच गई और खुद गौतम अडानी की कैपिटल में गिरावट आई. वह एशिया के सबसे अमीर शख्स नहीं रह गए. 15 प्रमुख अरबपतियों की लिस्ट से भी वह बाहर आ गए.

अडानी ग्रुप का FPO 27 जनवरी को खुला और 31 जनवरी को बंद हुआ. धीमी शुरुआत के बाद 31 जनवरी तक यह पूरी तरह सब्सक्राइब हो चुका था लेकिन स्विट्जरलैंड की इन्वेस्टमेंट बैंकिंग कंपनी क्रेडिट सुइस ने ग्रुप को एक और झटका दिया.  क्रेडिट सुइस ने प्राइवेट बैंकिंग के ग्राहकों से मार्जिन लोन के लिए जमानत के तौर पर अडानी ग्रुप के बॉन्ड लेना बंद कर दिया. सिटीग्रुप इंक ने भी गौतम अडानी की कंपनियों की सिक्योरिटीज को स्वीकार करना बंद कर दिया है.

फिर आई 1 फरवरी की तारीख...अडानी एंटरप्राइजेज ने FPO रद्द करने का ऐलान किया. वहीं, फोर्ब्स की रिपोर्ट में कहा गया कि अडानी एंटरप्राइजेज का FPO मैनेज करने वाली 10 कंपनियों में से 2 का नाम हिंडनबर्ग की रिसर्च रिपोर्ट में था.

अब भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंकों से अडानी ग्रुप को दिए कर्ज और जोखिम की जानकारी मांगी है. मामला राजनीतिक रंग भी ले चुका है. विपक्षी दल भी अडानी के विरोध में लामबंद होते नजर आ रहे हैं.

ये भी देखें- Adani Group: अब RBI ने सभी बैंकों से मांगी अडानी ग्रुप को दिए गए लोन की जानकारी

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