Long Term Capital Gain Tax : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) 1 फरवरी को बजट पेश करने जा रही हैं. बजट में कई ऐसे टर्म्स होते हैं, जिसका जिक्र वित्त मंत्री अपने भाषण में बार-बार करेंगी.. तो हम आपको समझाते हैं कुछ ऐसे ही अहम शब्दों के बारे में... आज हम जानेंगे लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स (Long Term Capital Gain Tax) के बारे में...
अगर आप सोचते हैं कि सिर्फ कारोबार या नौकरी से ज्यादा कमाई पर ही सरकार टैक्स लेती है, तो जान लीजिए... सरकार एक लिमिट से ज्यादा ब्याज, किराया, कमीशन, इनाम आदि मिलने पर भी टैक्स काटती है और इसे TDS कहा जाता है. प्रॉपर्टी, गोल्ड, गहने या शेयर आदि को बेचकर हुई कमाई पर भी एक टैक्स लगता है और इसी को कैपिटल गेन टैक्स कहा जाता है.
इसे सीधा सीधा ऐसे समझें कि घर, बिल्डिंग, शॉप, लैंट, प्लांट, मशीन, व्हीकल, गहने, शेयर, बांड, डिबेंचर, पेटेंट, ट्रेडमार्क, जीरो कूपन बांड, मूल्यवान कलाकृतियां कैपिटल एसेट हैं और इसे बेचकर हुई कमाई पर लगाया गया टैक्स कैपिटल गेन टैक्स कहलाता है. इसी कैपिटल गेन पर सरकार जो टैक्स लगाती है, उसे कैपिटल गेन टैक्स कहा जाता है.
ये टैक्स लगने के दो तरीके हैं- एक Short Term Capital Gain Tax और दूसरा Long Term Capital Gain Tax.
इस आर्टिकल/वीडियो में हम जानेंगे लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स के बारे में
अगर किसी प्रॉपर्टी यानी कैपिटल एसेट को खरीदने के 3 साल के अंदर उसे बेचा जाता है, तो बेचकर हुई कमाई पर शॉर्ट कैपिटल गेन टैक्स लगता है लेकिन अगर इसे 3 साल के बाद बेचा जाए, तो कमाई पर जो टैक्स लगेगा उसे लॉन्ग टर्म गेन टैक्स कहते हैं. हालांकि भारत में कुछ कैपिटल एसेट के मामले में 1 या 2 साल बाद संपत्ति को बेचने पर भी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स अप्लाई हो जाता है...
लैंड, हाउस या बिल्डिंग खरीदने पर अगर उसे 2 साल बाद बेचा जाए तो लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लागू होगा...
शेयर, डिबेंचर्स और सरकारी बांड्स को एक साल बाद बेचने पर ही लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स अप्लाई हो जाता है
UTI यूनिट, इक्विटी म्यूचुअल फंड और जीरो कूपन बांड पर भी यही नियम लागू होता है.
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