इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी के लिए नोटिस को लेकर एक बड़ा आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि इस तरह की शादी के लिए अब नोटिस लगाना जरूरी नहीं. हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने इसे स्वतंत्रता और निजता के मौलिक अधिकार का हनन बताया है. इस आदेश के बाद अब एक महीने पहले अलग-अलग धर्मों के रिश्ते के लिए नोटिस पब्लिश करवाने की जरूरत नहीं होगी. दरअसल स्पेशल मैरिज एक्ट की धारा - 5 के तहत अगर कोई दो धर्म के लोग शादी के बंधन में बंधना चाहते हैं तो उन्हें पहले मैरिज ऑफिसर को नोटिस देना होता है, जिसके बाद अब अधिकारी इसे सार्वजनिक कर देते हैं, जिसके बाद कोई भी शख्स इस तरह की शादी को लेकर अपना विरोध जता सकता है.