BYTE- PM मोदी की नोटबंदी के ऐलान वाली
यही वो ऐलान था जिसे पांच साल बाद भी लोग भूल नहीं पाए हैं. नोटबंदी (demonetisation) के इस चर्चित ऐलान के वक्त देश को बताया गया था कि बाजार में बेहिसाब कैश मौजूद है जिसकी वजह से करप्शन (corruption) बढ़ता है. इसी पर लगाम लगाने के मकसद से 8 नवंबर 2016 की आधी रात से 500 और 1000 रुपये के नोट (500 and 1000 rupee notes) बंद कर दिए गए थे और उसी के ठीक बाद देश ने पहली बार 2 हजार के गुलाबी नोट (pink note) का दीदार किया था. पांच साल बाद अब देश में क्या हालात हैं इस पर एक नजर डाल लेते हैं.
बाजार में कैश की क्या है स्थिति?
4 नवंबर को देश में 17.74 लाख करोड़ रुपये चलन में थे
30 अक्टूबर, 2020 को देश में 26.88 लाख करोड़ रुपये चलन में थे
29 अक्टूबर 2021 को 29.17 लाख करोड़ रुपये चलन में हैं
पांच सालों में देश में कैश का चलन 64% से ज्यादा बढ़ा
ये भी पढ़ें: Internet Service के कारोबार के जरिए भारत में एंट्री के मूड में Elon Musk
जाहिर इस आंकड़े से ये तो साफ हो गया है कि बाजार में कैश की मौजूदगी बढ़ी है.इसी को लेकर विपक्ष भी मोदी सरकार (Modi government) पर हमलावर है. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी (General Secretary Priyanka Gandhi) ने ट्वीट करके पूछा-
अगर नोटबंदी सफल थी तो...भ्रष्टाचार खत्म क्यों नहीं हुआ? कालाधन वापस क्यों नहीं आया? अर्थव्यवस्था कैशलेस क्यों नहीं हुई? आतंकवाद पर चोट क्यों नहीं हुई? महंगाई पर अंकुश क्यों नहीं लगा?
हालांकि यहां ये भी सच्चाई है इन पांच सालों में देश में डिजिटल भुगतान भी बढ़ा है. UPI पेमेंट को लेकर लोगों का आकर्षण बढ़ा है.
देश में बढ़ा है डिजिटल लेनदेन
UPI साल 2018 में लॉन्च हुआ था
देश में अब हर महीने 400 करोड़ डिजिटल लेनदेन हो रहे हैं
अक्टूबर 2021 में 421 करोड़ ट्रांजैक्शन UPI के जरिए किए गए
अब देश में एक साल 2500 करोड़ डिजिटल लेनदेन हो रहे हैं
आंकड़े बताते हैं कि डिजिटल ट्रांजैक्शन के मामले में भारत अब चीन से भी आगे है लेकिन एक्सपर्ट्स इसकी अहम वजह कोरोना को मानते हैं. लोगों ने कोरोना काल से बने डर के माहौल में न सिर्फ ज्यादा कैश निकाले बल्कि लेनदेन में इसका इस्तेमाल भी किया. बहरहाल कुछ और आंकड़े हैं जिससे सरकार अपनी पीठ थपथपा सकती है.
ये आंकड़े सरकार के पक्ष में
2016 में 1.96 करोड़ लोगों ने रिटर्न दाखिल किया था
7 सितंबर 2021 तक 8.83 करोड़ लोगों ने रिटर्न दाखिल किया
देश में आयकर देने वालों की संख्या करीब 90 लाख से ज्यादा बढ़ी है
हालांकि इन सबके बावजूद नोटबंदी के पांच सालों में ऐसे बड़े नुकसान हुए हैं जिनका सीधा कनेक्शन आम लोगों से है. मसलन
नोटबंदी बाद ये नुकसान भी हुए
साल 2016 में हमारी GDP दर 7.1 फीसदी थी
2020-21 में देश की जीडीपी ग्रोथ -7.3 फीसदी दर्ज की गई
भारत की बेरोजगारी दर बढ़ कर 7.11 फीसदी हो गई है
जाहिर है देश को नोटबंदी के जो फायदे बताए गए थे उसके मुकाबले हकीकत कुछ अलग है. देश में नगदी का प्रचलन कम होने की जगह बढ़ा है. अभी भी लोग 500 रुपये तक के खर्च के लिए नगदी का ही प्रयोग अधिक कर रहे हैं. हालांकि एक्सपर्ट्स कहते हैं कि लंबे समय में कुछ सकारात्मक परिणाम दिखेंगे.